Aspects of drying, collection and storage of cow dung for fuel - cow dung drying ((Photo courtesy of https://saahaszerowaste.wordpress.com/tag/cow-dung/)
आरने. |
इस तरह की तस्वीरें देख कर मुझे अपने गाँव के वे दिन याद आ जाते हैं जब मैं नौवीं कक्षा में पढ़ती थी। उन दिनों हमारे ईलाके में नहर का पानी नहीं आया था और बारानी खेती की जाती थी . साढ़ी की फसल काटने के बाद सीमाने खाली हो जाया करते थे और डाॅंगर -पशु वहां खुले चरते रहते थे। गर्मियां खूब पड़ती थी और बालू रेत बहुत गर्म हो जाया करती थी जब भी कोई गाय-बछड़ी गोबर करती थी तब वह गर्म बालू रेत में जल्दी सुख जाता। इस तरह कुदरती रूप में बने गोबर के उपलों को आरने /राणे कहा जाता है. गाँव की लड़कियां खेतों/सीमानों में आरने /राणे चुगने जाया करती थी।
मैं भी अपनी बुआ के साथ आरने चुगने जाती थी हम है भर - भर कर आरने लाते थे और उन्हें जलाने के लिए इक्क्ठे कर लिया करते थे। ये आरने बहुत अच्छे जलते थे , क्योंकि इनमें सिर्फ सुखा गोबर होता था, जबकि उपलों में कई बार घास-फुस मिला दिया जाता है और वे धुँआ पैदा करते हैं।
xoxo
No comments:
Post a Comment