Welcome to my world - a blend of passion, taste, and old-world traditions. गेंहूँ काटती हरियाणवी महिलाएं
Monday, May 31, 2021
Saturday, May 8, 2021
Beauty of full moon,Macrame flowers
आजकल मैं उपमन्यु
चटर्जी के उपन्यास
इंग्लिश अगस्त्य का हिंदी अनुवाद
कर रही हूँ। इसलिए साढ़े-चार बजे कम्प्यूटर पर अनुवाद करने बैठ जाती हूँ. शायद
सुबह-सुबह कम्प्यूटर
पर बैठने
की वजह से मेरा दिन में रोजाना
सिर दर्द
हो जाता है। बेटे ने कहा मम्मी आप कम्प्यूटर
पर बैठने
से पहले अपनी दूर की नजरें सेट किया करो। सो आज मैंने बाहर खुले में जाकर आसमान के तारे से त्राटक
और दूर-पास की आँखों की एक्सरसाइज
करने की सोची। बाहर सामने के आँगन में गई तह तो गेट के ठीक सामने खूबसूरत चाँद दिखाई दिया, बड़ा अच्छा लगा फिर मैंने चाँद के सामने त्राटक किया और दूर-पास की एक्सरसाइज की बहुत आनंद आया। मुझे
चाँद देखकर याद आया कि जब मैं छोटी थी हमारे गाँव में मेरे चाचा बरसात के बाद सामणी की बिजाई के दिनों में सुबह मुंह अँधेरे बल्कि उससे भी पहले रात के दो बजे बिजाई करने जाते थे। वे ऊँट पर हल जोतते थे, एक दिन मैंने कहा चाचा जी मुझे भी ले चलना कल खेत में मैं देखूंगी
कि आप चाँद की रोशनी में कैसे हल जोत लेते हैं. खैर वे मुझे जोत दिखने तो नहीं ले गए परन्तु
इतवार के दिन मैं दादी के साथ उस खेत में गई वह धारण वाली
का खेत था धारण गाँव के नजदीक होने की वजह से उसका नाम धारणवाली रखा गया था. वहां पर मेरे दादा ने पाकिस्तान
से आये किसी रिफ्यूजी से वह जमीन
खरीदी थी वहां पर हमारे सत्ताईस किले यानी की 175 बीघे जमीन थी
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